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खौफनाक तालाब : इस तालाब की तरफ भूल कर भी मत जाना


digital kahani : मेरा नाम मनोज है और मै मुंबई में बैग बनाने का काम करता हु दरअसल मेरे साथ घटी एक बहुत ही खौफनाक घटना जिसे सुनकर आपके रोंटे खड़े हो जाएंगे तो दोस्तों ये घटना आज से लघभग 2 साल पहले की है

मै राजस्जाथान के एक गाँव में अपने दोस्त मनोहर की शादी में जा रहा था उसके लिए मैने अपने काम से 5 दिनों की छुट्टी ली थी, मनोहर के गाँव पहुँच कर मैंने उसे फ़ोन किया तो उसका फोन बिजी आया तो मै उसी स्टेशन पर राखी एक कुर्सी पर बैठ गया इस इंतज़ार में की कुछ देर बाद फिर से फोन करूँगा कुछ देर बाद मैंने फिर उसे फोन लगाया तो उसने फोन उठा कर बोला : हाँ मनोज मै आ रहा हु '' इससे पहले की मै कुछ बोलता उसने फोन रख दिया था . तो मैंने भी सोचा की उसका इंतज़ार कर लेता हु तभी अचानक मेरे सामने से कोई बहुत तेजी से गुज़र गया मुझे लगा स्टेशन का कोई कर्मचारी होगा ये सोच कर मैंने उसे इगनोर किया तभी अचानक मेरे कंधे पर किसी ने हाथ रख दिया मै बहुत ही ज्यदा डर गया था फिर वो हाथ मेरे कंधे को पीछे खींच रहा था मै पीछे नही मुडा तभी अचानक उसने मेरी आँखों पर हाथ रख दिया मुझे लगा ये शायद मेरा दोस्त मनोहर है

मैने बोल मनोहर मजाक मत कर मै तुझे पहचान गया फिर मैने अपने हाथो से उसका हाथ पकड़ कर अपनी आँखों से हटा ही रहा था तभी जोर से चिलाने की आवाज़ आई और वो आवाज़ बहुत ही दूर से आ रही थी मनोज ,, मनोज मै पसीने पसीने हो गया मनोहर तो मुझे दूर से चिल्ला रहा था फिर ये मेरे पीछे कौन है जैसे ही मै पीछे मुड़ा तभी अचानक से वो कहीं गायब हो गया फिर मनोहर आया और मुझसे कहने लगा मुझे माफ़ करदे मुझे बहुत देर हो गई तब मैने कहा कोई बात नही मनोहर हो जाता है लेकिन मै मन ही मन में बहुत ही ज्यादा डरा हुआ था और मेरे पैर थर थर काँप रहे थे जो मेरे साथ हुआ मै मनोहर को बता सकता था पर मैंने सोचा शादी का माहोल खराब न हो तो मैंने उसे नहीं बताया और उसके साथ बाइक पर बैठ कर उसके घर चला गया

उसके घर पहुँचते ही मैने देख की वहां पर गहरा सननाटा पसरा हुआ था और कोई दिखाई भी नही दे रहा था तो मैने मनोहर से पुछा यहाँ इतना सन्नाटा क्यों है तो उसने बोला की तू शहर में रहने वाला है और ये गाँव है तो मैने बोला ये बात भी ठीक है लेकिन मै मन ही मन यह सोच रहा था जो स्टेशन में मेरे साथ हुआ और यहं शादी वाला माहोल तो लग ही नही रहा और इस पुरे गाँव में मुझे सिर्फ मनोहर ही दिखा रहा और कोई भी नही तभी अचानक से मनोहर की बहन आई और मुझसे बोली भैया बैग रख कर अंदर आराम कर लीजिये ना फिर मैने बैग रख दिया और मुझे बहुत जोरो से नींद आ रही थी तो मैं वहीँ पर सो गया

अगले दिन जब मै उठा तो मुझे समुद्री लहरों की आवाज़ आई मै हडबडा कर उठ गया और मनोहर से पुछा यार मनोहर यहाँ कही समुद्र है क्या तो वो मेरी बातो पर हसने लगा और कहने लगा यह गाँव है तुम्हारा शहर नही फिर बोला यहाँ तो तालाब है घर के पीछे शायद तुमने उसकी आवाज़ सुनी होगी तो मैने बोला मुझे वो तालाब देखना है तो वह मुझे तालाब की ओर ले गया वह तालाब देखने में बहुत ही सुदर लग रहा था मै उसमे डुबकी लगाने जा ही रहा था की एक औरत के चिलाने की आवाज़ आई मै डर गया और यहं वहां देखने लगा मनोहर हंस कर मेरे तरफ देख कर कहता है क्या हुआ तब मै ने कुछ नही मै अंदर से बहुत ही घबराया हुआ था मैने मनोहर से बोला चलो यहं से तो मनोहर अचानक से कही गायब हो गया था मै और भी ज्यादा डर गया तभी तालाब के पास के बच्चा दिखाई दिया जो की डूब रहा था तो मै बिना कुछ सोचे सीधा उस बच्चे को बचने दौड़ पड़ा तभी मुझे फिरसे चिलाने की आवाज़ आई मै पीछे मुड़ कर देख तो मेरा दोस्त मनोहर था और मुझे पकड़ कर खींच कर ले जाने लगा और इतनी देर में वो बच्चा पूरी तरह डूब चुका था

मैने गुस्से में मनोहर से अपना हाथ छुडाया और बोला तुम्हे वो बच्चा डूबता हुआ नज़र नहीं आ रहा था क्या तब उसने मुझे बताया की वह तालाब शरापित है उसके करीब भी मत जाना जो भी उसके करीब जाता है वो जिंदा लौट कर नहीं आता तो मैने कहा की फिर तुम मुझे उस तालाब के करीब क्यों लेकर गये थे , जो उसने बताया वो सुनकर मेरे होश उड़ गये थे ,,,,,,उसने बताया की वो सो कर उठा तो मै उसके घर पर नहीं था तब वह मुझे ढूँढ़ते हुए तालाब के पास आया और मुझे तालाब के पास से दूर ले गया फिर मैने सोचा वो कौन था जो मुझे तालाब के पास लाया मै बहुत ही डर गया और फिर मैने उसे सारा किस्सा सुनाया जो मेरे साथ स्टेशन में हुआ और फिर सुबह हुआ

तो मनोहर ने मुझे बताया की वो तालाब श्रापित है उस तालाब पर एक बच्चे की आत्मा है और वो चीखती हुई आत्मा उस बच्चे की माँ थी .....जिसे गाँव वालो ने डायन समझ कर उसके घर में आग लगा दी थी और उसके हाथ से बच्चे को छीन कर उस तालाब में फेक दिया था उसके बाद से जो भी उस तालाब में जाता वो जिंदा वापिस लौट कर नहीं आता

फिर मैने तुरंत उससे कहा मनोहर मुझे अचानक काम याद आ गया है मई जा रहा हु मुंबई मुझे माफ़ करदे मै तेरी शादी में नहीं रुक पाउँगा ये कहते ही मै वहां से तुरंत बैग उठा कर भाग कर अगली ट्रेन में बैठ गया और मुंबई आ गया


तो दोस्तों हमें उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आई होगी मिलते है ऐसे ही किसी डरावनी कहानी के साथ 


Disclamire : यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका असल जिंदगी से कोई लेना देना नही है , हम केवल मनोरंजन के लिए इस कहानी को आपके सामने प्रस्तुत कर रहे है


@rehman


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